"भारत के पड़ोसी देशों में उथल-पुथल: विद्रोह और तख़्ता पलट का लंबा इतिहास"
नेपाल से पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान और म्यांमार तक… भारत के पड़ोसी देशों में विद्रोह और तख़्ता पलट का लंबा इतिहास
भारत के पड़ोसी देशों का इतिहास देखने पर एक बात साफ दिखाई देती है—यहां सत्ता पलट, विद्रोह और राजनीतिक अस्थिरता आम बात रही है। कभी लोकतंत्र की आवाज़ दबाने के लिए सेना सामने आई, तो कभी जनता के गुस्से ने राजसत्ता को जड़ से हिला दिया। नेपाल में हालिया उथल-पुथल से पहले भी बांग्लादेश, अफगानिस्तान और म्यांमार जैसे देशों में विद्रोह और सत्ता परिवर्तन की लंबी कहानियां दर्ज हैं।
बांग्लादेश: जन्म से लेकर विद्रोह तक
1971 में पाकिस्तान से आज़ादी हासिल करने के बाद बांग्लादेश ने लोकतंत्र की राह पकड़ी। लेकिन जल्द ही यहां सत्ता संघर्ष और राजनीतिक हत्याओं का दौर शुरू हो गया। शेख मुजीबुर रहमान, जिन्हें देश का "जनक" माना जाता है, 1975 में सैन्य विद्रोह में मारे गए। इसके बाद कई बार तख़्ता पलट हुआ और सेना ने राजनीति पर कब्ज़ा जमाए रखा। लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद बांग्लादेश ने फिर से लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ाए, लेकिन आज भी वहां राजनीति में अस्थिरता और विद्रोह की झलक देखी जा सकती है।
अफगानिस्तान: सत्ता पर कब्ज़े की जंग
अफगानिस्तान का इतिहास तो मानो विद्रोह और सत्ता पलट का पर्याय है। सोवियत संघ के कब्ज़े से लेकर तालिबान के उदय और फिर अमेरिकी हस्तक्षेप तक, इस देश ने कभी स्थिर सरकार का स्वाद नहीं चखा। 2001 में तालिबान को सत्ता से हटाया गया, लेकिन 2021 में उन्होंने फिर से काबुल पर कब्ज़ा कर लिया। यहां की जनता दशकों से युद्ध, आतंक और विद्रोह के बीच पिसती आ रही है। अफगानिस्तान का ताज़ा इतिहास बताता है कि जब सत्ता जनता की बजाय हथियारों के दम पर तय होती है, तो शांति नामुमकिन हो जाती है।
म्यांमार: लोकतंत्र की राह पर रुकावट
भारत का दूसरा पड़ोसी म्यांमार भी विद्रोह और सैन्य शासन से अछूता नहीं रहा। यहां की नेता आंग सान सू ची ने लोकतंत्र की लड़ाई लड़ी और जनता ने उन्हें भरपूर समर्थन दिया। लेकिन सेना ने बार-बार उनकी ताकत को चुनौती दी। 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंका और देश में आपातकाल थोप दिया। इसके बाद से म्यांमार में लगातार विरोध प्रदर्शन, हिंसा और विद्रोह का माहौल बना हुआ है। यहां जनता अब भी लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष कर रही है।
नेपाल: राजशाही से लोकतंत्र तक
नेपाल का इतिहास भी कम उथल-पुथल भरा नहीं है। एक समय राजशाही का गढ़ रहा नेपाल, 1996 से 2006 तक माओवादी विद्रोह से जूझता रहा। इस दौरान हजारों लोग मारे गए। आखिरकार 2008 में राजशाही खत्म हुई और नेपाल को लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। लेकिन आज भी वहां राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। कभी सरकार गिरती है तो कभी नई पार्टियों का उदय होता है।
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