नागपुर हादसा: सोलर कंपनी की फैक्ट्री में जोरदार धमाका, एक मजदूर की मौत


नागपुर फैक्ट्री ब्लास्ट: आधी रात के धमाके ने ली मजदूर की जान, कई घायल

महाराष्ट्र के नागपुर से एक बार फिर दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जिले के बाजरगांव इलाके में स्थित सोलर कंपनी की विस्फोटक (Explosives) यूनिट में आधी रात को जोरदार धमाका हुआ। इस भीषण हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तुरंत नागपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से तीन की हालत नाज़ुक बताई जा रही है।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, धमाका इतना जबरदस्त था कि फैक्ट्री का पूरा ढांचा चंद सेकंडों में तहस-नहस हो गया। आसपास के गांवों तक विस्फोट की गूंज सुनाई दी और लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए। हादसे के वक्त सौभाग्य से फैक्ट्री में सीमित कर्मचारी मौजूद थे, वरना जनहानि और भी बड़ी हो सकती थी।

पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य शुरू किया। फिलहाल घटनास्थल को सील कर दिया गया है और फॉरेंसिक टीम blast की असली वजह की जांच कर रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि "ग्राउंड ज़ीरो से साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं ताकि विस्फोट के सही कारणों का पता लगाया जा सके।"

यह पहला मौका नहीं है जब सोलर कंपनी की फैक्ट्री में धमाका हुआ हो। दिसंबर 2023 में भी इसी कंपनी के बाजरगांव स्थित प्लांट में बड़ा विस्फोट हुआ था, जिसमें 9 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। दो साल में यह दूसरा बड़ा हादसा है, जिसने कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था और मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

गौरतलब है कि यह कंपनी शस्त्र बलों और अन्य एजेंसियों के लिए उच्च-ऊर्जा सामग्री, गोला-बारूद और विस्फोटक बनाती है। ऐसे में सुरक्षा की छोटी सी चूक भी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है। स्थानीय लोग भी लगातार सुरक्षा मानकों को लेकर चिंता जताते रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि “हर बार हादसे के बाद जांच होती है, लेकिन हालात जस के तस रहते हैं।”

धमाके की जानकारी मिलते ही महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख मौके पर पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और प्रशासन से कठोर कदम उठाने की मांग की। देशमुख ने कहा कि "सोलर कंपनी को लगातार हो रहे हादसों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मजदूरों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।"

घटना के बाद इलाके में मातम का माहौल है। जिस मजदूर की मौत हुई, वह रोज़ की तरह ड्यूटी पर गया था, लेकिन परिवार वालों को कभी सोचा भी नहीं था कि वह वापिस लौटकर नहीं आएगा। घायल मजदूरों के परिवारजन अस्पताल के बाहर रो-रोकर बुरा हाल कर रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन ने मृतक के परिजनों को मुआवज़े और घायलों को उचित इलाज का आश्वासन दिया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार कब तक मजदूर असुरक्षित माहौल में काम करते रहेंगे?

नागपुर का यह ब्लास्ट न सिर्फ एक दुखद हादसा है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि सुरक्षा मानकों और सतर्कता को नज़रअंदाज़ करने की कीमत कितनी भारी हो सकती है। अब देखना यह है कि जांच के बाद जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई होती है और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार और कंपनी क्या ठोस कदम उठाते हैं।



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