"बड़ी राहत! आम आदमी के लिए तोहफ़ा – GST स्लैब घटकर हुए 5% और 18%".


जीएसटी में बड़ा बदलाव: आम जनता और कारोबारियों को राहत की तैयारी.

भारत सरकार ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) में बड़ा सुधार लाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। वित्त मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि जीएसटी संरचना को सरल बनाया जाएगा और केवल दो कर स्लैब – 5% और 18% ही रहेंगे। पहले से लागू 12% और 28% वाले स्लैब को समाप्त करने पर सहमति बनी है। यह प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल के सामने रखा जाएगा और अंतिम फैसला वहीं होगा।

मंत्रियों का समूह (GoM) कौन-कौन है?

इस सुधार पर विचार करने के लिए गठित मंत्रियों का समूह (GoM) में विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और कर्नाटक के मंत्री प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनकी जिम्मेदारी है कि वे कर ढांचे को आसान, पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनाने के सुझाव दें।

वर्तमान जीएसटी संरचना

अभी जीएसटी चार मुख्य स्लैब में है –

5%

12%

18%

28%

इसके अलावा, कुछ लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर सेस भी लगता है। नई व्यवस्था में केवल दो स्लैब रहेंगे – 5% और 18%। इससे कर संरचना सरल होगी और कारोबारियों के लिए अनुपालन आसान होगा।

ऑनलाइन गेमिंग पर 40% टैक्स

काउंसिल ने ऑनलाइन गेमिंग पर 40% कर बनाए रखने का फैसला किया है। हालांकि, भविष्य में इस पर भी समीक्षा हो सकती है।
आठ सेक्टर जिन्हें होगा सबसे ज्यादा फायदा
1. इलेक्ट्रॉनिक्स और होम अप्लायंसेस
2. एफएमसीजी प्रोडक्ट्स
3. टेक्सटाइल और गारमेंट्स
4. फर्नीचर और डेकोर
5. टू-व्हीलर और ऑटो पार्ट्स
6. पैकेज्ड फूड और ग्रीन्स
7. छोटे उद्योग और हस्तशिल्प
8. बीमा और फाइनेंशियल सर्विसेज

कौन-कौन से बदलाव होंगे?

12% और 28% के बीच आने वाले अधिकतर सामान अब 18% या 5% पर आ सकते हैं।
रोजमर्रा की जरूरतों के उत्पादों पर कर में कमी से दाम घटेंगे।
छोटे कारोबारी और स्टार्टअप्स के लिए कर अनुपालन आसान होगा।
बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट का सुझाव भी चर्चा में है, जिससे पॉलिसी होल्डर्स को सीधा लाभ मिलेगा।
आम आदमी को क्या फायदा होगा?
नई दरों से टीवी, फ्रिज, गाड़ी के पुर्जे, पैकेज्ड फूड और कई घरेलू सामान सस्ते हो सकते हैं। 28% की जगह 18% कर दर लागू होने से ग्राहकों को 4% से 10% तक का सीधा फायदा हो सकता है।

अंतिम फैसला कब होगा?

जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी। उसके बाद ही यह तय होगा कि नई दरें कब से लागू होंगी। अनुमान है कि नया ढांचा 2025 के अंत तक लागू किया जा सकता है।










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