उत्तराखंड में कुदरत की विनाश लीला: धराली से हर्षिल तक महातबाही

बादल फटा: तबाही की वह भयानक घड़ी"

उत्तराखंड एक बार फिर कुदरत के कहर का शिकार बना। पहाड़ों पर शांति का बसेरा माने जाने वाले इस राज्य में, जब अचानक बादल फटा, तो मानो ज़िंदगी की रफ्तार थम गई। तेज़ गर्जना, मूसलधार बारिश और उसके बाद आई तबाही ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया।


एक पल में आई तबाही

सुबह का समय था, लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में लगे हुए थे, तभी आसमान से ऐसा पानी बरसा जैसे बाढ़ का दरवाज़ा खुल गया हो। तेज़ बहाव में घर बह गए, सड़कें टूट गईं, खेतों में सिर्फ कीचड़ और मलबा बचा। नदियाँ उफान पर थीं और गांव के गांव पानी में डूबने लगे।


लोगों की चीखें, कुदरत की खामोशी

हर ओर चीख-पुकार मची थी। लोग अपने परिजनों को बचाने के लिए जूझ रहे थे, लेकिन पानी का रौद्र रूप किसी को नहीं बख्श रहा था। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं – हर कोई मदद की गुहार लगा रहा था।


प्रशासन अलर्ट, राहत कार्य जारी

स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तुरंत राहत और बचाव कार्य में जुट गईं। हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, लेकिन दुर्गम इलाके और टूटी सड़कें बचाव कार्य में बाधा बन रही हैं।


प्राकृतिक आपदा या चेतावनी?

उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। क्या ये केवल प्राकृतिक आपदाएं हैं या फिर ये चेतावनी है कि हमने प्रकृति के साथ कुछ ज़्यादा ही छेड़छाड़ कर दी है? अवैध निर्माण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन — सभी मिलकर इस तबाही को और भयावह बना रहे हैं।उत्तराखंड में कुदरत की विनाश लीला: धराली से हर्षिल तक महातबाही

उत्तरकाशी का शांत पहाड़ी इलाका उस वक़्त दहशत में बदल गया, जब धराली से लेकर हर्षिल तक आसमान से आफत बरसी।

एक नहीं, दो-दो जगहों पर बादल फटा, और देखते ही देखते पूरा इलाका जलप्रलय की चपेट में आ गया।

कहते हैं जब कुदरत का कहर टूटता है, इंसान लाचार हो जाता है, और यही हुआ उत्तरकाशी में।

भारी बारिश, अचानक बादल फटना, और उसके बाद आया सैलाब तबाही का ऐसा मंजर लेकर आया जो लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था।


सेना का कैंप बह गया, सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं।

धराली का पूरा नक्शा बदल गया है। घर, दुकानें, खेत – सब सैलाब में समा गए।

कई घर मलबे में तब्दील हो चुके हैं, और स्थानीय लोग जैसे-तैसे जान बचाकर ऊंचे इलाकों में भागे।

उत्तरकाशी के आसमान पर मंडराता खौफ, जमीन पर बिखरी जिंदगी की कहानियां।

चारों ओर सिर्फ तबाही, चीखें और खामोशी का सन्नाटा।

130 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है, लेकिन अभी भी कई लोग लापता हैं।

रातभर चले रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF, SDRF और सेना की टीमें लगातार जुटी हुई हैं।

यह सिर्फ एक आपदा नहीं, यह है कई कहानियों की शुरुआत  जिनमें किसी ने अपनों को खो दिया, किसी ने अपना घर, और किसी ने अपना भविष्य।

प्रयागराज में भी बाढ़ ने अपना कहर दिखाया, जहाँ से आई तस्वीरें किसी डरावने सपने से कम नहीं थीं।

सड़कों पर नावें चल रही हैं, घरों की छतों पर लोग मदद का इंतज़ार कर रहे हैं।

पूरा इलाका जैसे जापान के सुनामी जैसे हालात से गुजर रहा है।

आसमान से बरसी आफत ने पहाड़ों की छाती चीर दी, और नदियों ने सब कुछ निगल लिया।

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