"राम भद्राचार्य पर अविमुक्तेश्वरानंद का प्रहार – क्या कहा जिसने मचा दी हलचल?"
राम भद्राचार्य पर भड़के अविमुक्तेश्वरानंद – ‘क्या आपको दिखाई नहीं देता, तो क्या सुनाई भी नहीं दे रहा?’
धार्मिक जगत में तब हलचल मच गई जब तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु राम भद्राचार्य द्वारा स्वामी प्रेमानंद को लेकर दिए गए बयान पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तीखी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा –
> “जो दिनभर राधे-राधे, कृष्ण-कृष्ण, हे गोविंद, हे गोपाल का स्मरण करा रहे हैं और लोगों को नाम-संकीर्तन की प्रेरणा दे रहे हैं, उनसे ईर्ष्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन चमत्कारों पर अंधविश्वास को बढ़ावा देना सही नहीं।”
बयान से उपजा विवाद
राम भद्राचार्य ने प्रेमानंद को लेकर कहा था कि उनके पास ‘नयन’ (दृष्टि से संबंधित चमत्कारी शक्ति) है। इस पर अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल उठाया कि क्या केवल कथाओं और भावनाओं के सहारे किसी को दिव्य शक्ति का प्रमाण देना उचित है? उन्होंने यह भी जोड़ा कि संतों का काम भक्ति, ज्ञान और साधना से समाज को जोड़ना है, न कि चमत्कारों से भ्रमित करना।
धार्मिक समाज में बहस
इस बयानबाजी ने संत समाज और भक्तों के बीच बहस छेड़ दी है। एक वर्ग का मानना है कि संतों को एक-दूसरे पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए, वहीं कुछ लोग कहते हैं कि अंधविश्वास को चुनौती देना जरूरी है।
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