"इस्लामाबाद डूबा? दहशत में पूरा पाकिस्तान!"
इस्लामाबाद में सैलाब का कहर: पाकिस्तान में हाहाकार, 200 से ज्यादा लोगों की मौत
पाकिस्तान इस समय भीषण आपदा से जूझ रहा है। देश के कई हिस्सों में आई भीषण बारिश ने सैलाब का रूप ले लिया है और राजधानी इस्लामाबाद समेत खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र पूरी तरह तबाही के मंजर में बदल गए हैं। इस विनाशकारी बाढ़ ने अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है, जबकि सैकड़ों लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।
शाहबाज के घर फूटा 'वॉटर बम'
भारी बारिश के बाद आई अचानक बाढ़ ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के आवास को भी अपनी चपेट में ले लिया। वहां पानी का ऐसा ‘वॉटर बम’ फूटा कि चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। राजधानी की सड़कों पर खड़ी गाड़ियां खिलौनों की तरह बह गईं। पुल ध्वस्त हो गए, नालों की दीवारें ढह गईं और शहर की सड़कें गहरे गड्ढों में तब्दील हो गईं।
सबसे ज्यादा तबाही खैबर के बुनर में
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बुनर इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान दर्ज किया गया है। यहां 91 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि स्वात क्षेत्र में 26 घर और तीन स्कूल मलबे में तब्दील हो गए। बाढ़ के पानी ने गांवों को निगल लिया, घरों को ढहा दिया और लोगों को भागने का मौका तक नहीं मिला।
भूख-प्यास से बेहाल लोग
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब भुखमरी की स्थिति बन गई है। लोग भोजन के एक-एक निवाले के लिए तरस रहे हैं। राहत सामग्री के अभाव में हालात और भी खराब होते जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि बचाव दल लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं, लेकिन सड़कों के कट जाने और पुलों के बह जाने से राहत पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।
अचानक आया पानी का सैलाब
चश्मदीदों के मुताबिक, अचानक पहाड़ों से पानी का तेज़ रेला आया और पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। गाड़ियां, दुकानें, घर – सब बह गए। कई लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं और उनके जिंदा बचने की उम्मीद बेहद कम है।
प्रकृति का प्रकोप और प्रशासन की लापरवाही
विशेषज्ञों का कहना है कि यह आपदा सिर्फ प्राकृतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी नतीजा है। नालों की सफाई नहीं हुई, बांधों की मजबूती पर ध्यान नहीं दिया गया और समय पर चेतावनी जारी नहीं की गई।
अब पूरा पाकिस्तान खौफ में है और इस्लामाबाद तबाही का प्रतीक बन चुका है। सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान इस संकट से उबर पाएगा या आने वाले दिनों में और भयावह मंजर देखने को मिलेंगे?
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