आधी दुनिया में हडकम्प......डरा रहा है भुकम्प

भुकंप और सुनामी के डबल अटैक से कॉपी धरती 

हिमालय से हिंदमहासागर तक सुनामी का टेरर 

रूस मे फिर आया भूकम्प का झटका ज्वालामुखी सक्रीया

अफ़ग़ानिस्तान से लेकर म्यांमार तक धरती हिल 

भुकंप के झटके....साहमे लोग

2 अगस्त को म्यांमार में भूकम्प आया 3.6 तिव्रता

रूस मे मेघा भुकम्प की दहशत 

31 जुलाई को आया 8.8 तिव्रता मेघा भुकम्प

चिन से नव वर्ष तक जल प्रलय

2 अगस्त को अरुणाचल में आया

धरती में 10 किलोमीटर था भूकम्प का केन्द्र

तिब्बत से Lekar Myanmar Tak

ज्वालामुखी विस्फोट के साथ सुनामी अलर्ट

3 अगस्त तिब्बत को आया भूकम्प तिव्रता 4.5

रूस के काम सटका में 6.8 का भूकम्प

2 अगस्त 2025 अफगानिस्तान में आया भूकम्प

रूस के द्वीप Samuh main 6.7तिवरता का भुकम्प

24 घंटे के अंदर पाकिस्तान में दो बार धरती हिली



जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है, तो इंसान की सारी ताकत, विज्ञान और तकनीक भी अक्सर उसके सामने बौनी साबित हो जाती है। भूकंप की तेज़ कंपन, सुनामी की ऊँची लहरें, ज्वालामुखी का उगलता लावा, बाढ़ का उफनता पानी या पहाड़ों से टूटकर गिरते बादल – ये सब पल भर में इंसान के बसे-बसाए संसार को मलबे में बदल सकते हैं।


मानव ने अंतरिक्ष की गहराइयों तक पहुंच बनाई है, समुद्र की तलहटी को मापा है, लेकिन प्रकृति के क्रोध को पूरी तरह रोक पाने की ताकत आज भी उसके पास नहीं है। ये आपदाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि हम इस धरती के मालिक नहीं, बल्कि इसके मेहमान हैं। जब-जब हमने संतुलन बिगाड़ा, प्रकृति ने हमें चेताया और कभी-कभी सज़ा भी दी।


ऐसे कठिन समय में इंसान केवल एक-दूसरे का सहारा बन सकता है – राहत, बचाव और पुनर्निर्माण के माध्यम से। प्रकृति के आगे बेबस होना हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी अपार शक्ति का प्रमाण है। यही कारण है कि हमें इसके साथ सामंजस्य बनाकर, पर्यावरण की रक्षा करते हुए, विनम्रता से जीना सीखना चाहिए, क्योंकि जब प्रकृति बोलती है, तो सारी दुनिया खामोश हो जाती है।

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