1. कठुआ में बादल फटने से मची तबाही, हर तरफ हाहाकार



कठुआ में बादल फटा, भयानक तबाही – सात की मौत, कई घायल


जम्मू–कश्मीर के कठुआ ज़िले में रविवार को अचानक बादल फटने से हालात बेहद गंभीर हो गए। तेज़ बारिश और पहाड़ी नालों में उफान के चलते देखते ही देखते सैलाब ने कई घरों, दुकानों और खेतों को अपनी चपेट में ले लिया। इस हादसे में अब तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।


स्थानीय लोगों का कहना है कि अचानक आसमान से मूसलधार पानी बरसा और कुछ ही मिनटों में पूरा इलाका पानी की धाराओं में डूब गया। तेज़ बहाव में गाड़ियाँ, झोपड़ियाँ और पुल बह गए। लोग चीख–पुकार करते हुए सुरक्षित जगहों की ओर भागते नज़र आए। बच्चों और महिलाओं को बचाने के लिए सेना और प्रशासन को मिलकर रेस्क्यू करना पड़ा।


राहत एवं मुआवज़ा घोषणा

इस हादसे को देखते हुए प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है। वहीं, गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख रुपये और सामान्य घायलों को 50 हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।


राहत-बचाव अभियान जारी

मौके पर जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात हैं। बचाव कर्मी लगातार मलबा हटाने और फंसे लोगों को निकालने में लगे हुए हैं। कई गांवों का संपर्क टूट गया है और बिजली व्यवस्था भी ठप हो गई है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नालों और नदी के किनारों पर न जाएं और सुरक्षित स्थानों पर रहें।


गांव-गांव में मातम

कठुआ के प्रभावित गांवों में मातम पसरा हुआ है। जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, उनका दर्द शब्दों में बयान करना मुश्किल है। लोग अपने घरों के टूटे–फूटे मलबे में से ज़रूरी सामान तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। कई जगहों पर खेत बह जाने से किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा है।


सरकार की बड़ी चुनौती

बादल फटने की यह घटना प्रशासन और सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। एक तरफ जान-माल का भारी नुकसान हुआ है तो दूसरी ओर विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की समस्या भी खड़ी हो गई है। मुख्यमंत्री ने हादसे पर गहरा शोक जताते हुए पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।


निष्कर्ष

कठुआ में बादल फटने से हुई तबाही ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान कितना बेबस है। हालांकि राहत और बचाव कार्य तेज़ी से जारी है, लेकिन जिन परिवारों ने अपनों को खोया है, उनके ज़ख्म भरना आसान नहीं होगा। यह घटना आने वाले समय के लिए चेतावनी है कि पहाड़ी इलाकों में आपदा प्रबंधन की मज़बूत तैयारी ज़रूरी है।

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